यन्त्रोपारोपितकोशांशः

सम्पाद्यताम्
 

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


अंश्वदाभ्याहरण न.
(अंशोः अदाभ्यस्य च आहरणम्) ‘अंशु’- संज्ञक एवं अदाभ्य-संज्ञक प्यालों में सोमरस का भरना, अंशुग्रह अंश्वदाभ्याहरण 3 का.श्रौ.सू. 12.5.6. [वैभव की कामना वाले यजमान की स्थिति में ‘अध्वर्यु’ ‘अदाभ्य’ प्याले का आहरण करता है (का.श्रौ.सू. 12.5.13) इस प्याले के आहरण कि प्रक्रिया निमन्वत् है; मौनपूर्वक ‘वसतीवरी’-संज्ञक जल को होतृ के प्याले में उड़ेलने के बाद अध्वर्यु सन्नद्ध सोम से आधाव मन्त्र से सोम की 3 टहनियों से इसे सज्जित करता है। वह पुनः तीनों टहनियों को अदाभ्य प्याले में रख देता है और चिनी गई अगिन् की वेदीके अंस (स्कन्ध-कन्धा) तक ले जाता है]।

"https://sa.wiktionary.org/w/index.php?title=अंश्वदाभ्याहरण&oldid=475124" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्