यन्त्रोपारोपितकोशांशः

सम्पाद्यताम्
 

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


अकृतब्रह्मयज्ञ वि.
(न कृतः ब्रह्मयज्ञः येन) जिसने ब्रह्मयज्ञ (जिसमें वैदिक-पाठ्यों के कुछ अंशों का पाठ निहित है) का अनुष्ठान नहीं किया है बालम.भा. 1.343.26, (1०1 पर); (ब्रह्मयज्ञ-वैदिक निवित्; सन्ध्या-कर्म में वेदों के अंशों का पाठ; पञ्च महायज्ञों में एक) मनुस्मृति 3.69-7०; हि.आ.धर्म. II. 698 PP।

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