अगिन्क्षेत्र
यन्त्रोपारोपितकोशांशः
सम्पाद्यताम्Vedic Rituals Hindi
सम्पाद्यताम्
पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
अगिन्क्षेत्र न.
‘महावेदि’ के पूर्व में स्थित स्थल जहाँ पक्षी (श्येन) की आकृति में अगिन् के लिए चबूतरा उठाया जाता है (उठाया जाय) का.श्रौ.सू. 16.7.31, सामान्य स्वरूप ‘सप्तविध’ है, अर्थात् माप में सप्तपुरुष जो उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम आयाम वाला एवं पुरुष (यजमान) की नाप का सात गुना हो; आप.श्रौ.सू. 16.17.9, आप.श्रौ.सू. 16.17.9। कुछ स्थितियों में नाप द्विगुणित (दो गुना) होती है (चतुर्दश-विध) या त्रिगुणित [तीन गुना (एकविंशति- विध) होती है] जैसे अश्वमेध में, का.श्रौ.सू. 2०.4.15. यह संक्षिप्तीकृत रूप में ‘अगिन्’ है। अगिन्क्षेत्र