यन्त्रोपारोपितकोशांशः

सम्पाद्यताम्
 

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


ऋजीषमुख वि.
(ऋजीषं मुखे यस्य) अग्रभाग में (रखी हुई) सवन की गयी सोम लता की तलछट से युक्त, का.श्रौ.सू. 9.5.12 (प्रोह्य द्रोणकलशमृजीषमुखेष्वद्रिषु निदधत्युद्गातारः); चि.भा.से (सवन-प्रस्तर) जिसकी सतह में सोमरस के अवशिष्ट भाग का लेप किया जाता है, एवं लिप्त मुखड़े तलछट का संग्रह करते समय एक-दूसरे की तरफ मोड़ दिये जाते हैं, भा.श्रौ.सू. 13.12.1०।

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