प्रतिप्रस्थातृ
यन्त्रोपारोपितकोशांशः
सम्पाद्यताम्वाचस्पत्यम्
सम्पाद्यताम्
पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
प्रतिप्रस्थातृ¦ पु॰ प्रति + प्र + स्था--तृच्। सोमयागीये ऋत्विग्भेदे अच्छावाकशब्दे
८५ पृ॰ दृश्यम्।
Apte
सम्पाद्यताम्
पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
प्रतिप्रस्थातृ [pratiprasthātṛ], m. An epithet of a priest who assists the Adhvaryū.
Monier-Williams
सम्पाद्यताम्
पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
प्रतिप्रस्थातृ/ प्रति-प्र-स्थातृ m. ( स्था)N. of a priest who assists the अध्वर्युTS. Br. S3rS.
Vedic Rituals Hindi
सम्पाद्यताम्
पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
प्रतिप्रस्थातृ पु.
एक ऋत्विज् का नाम, जो अध्वर्यु के प्रथम सहायक के रूप में कार्य का निर्वाह करता है; उसका विशेष कार्य है यजमान की पत्नी के आगे-आगे चलना, और बलि के रूप में प्रदेय पशु की अँतड़ियां ग्यारह भाग में काटना और उनके (अँतड़ियों के भागों के) साथ उपयाजों को अर्पित करना (आहुति देना, पशुयाग में), आप.श्रौ.सू. 7.18.1; 21.8; सवनीय पुरोडाश तैयार करना, प्रतिधयीत प्रतिप्रस्थातृ 305 12.3.15; वह बिना मन्त्रों का उच्चारण किये अपने कर्तव्यों का निर्वहण करता है; मन्त्र केवल अध्वर्यु द्वारा पढ़े जाते हैं, 8.5.1; सोम-पान करने के लिए (प्रयुक्त) उसके पात्र को ‘प्रतिप्रस्थान’ कहते हैं, 12.21.12, जो अध्वर्यु के पात्र से छोटा होता है, 15.3.11।