यन्त्रोपारोपितकोशांशः

सम्पाद्यताम्

Vedic Index of Names and Subjects

सम्पाद्यताम्
 

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


Viṣāṇā in the Atharvaveda[] and later^2 denotes an animal's ‘horn.’

 

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


विषाणा स्त्री.
मृग-शृंग, मा.श्रौ.सू. 9.1.3.24; एक बीता लम्बा, जिसमें तीन या पाँच मोड़ होते हैं। इसे यजमान के शरीर में अध्वर्यु अथवा स्वयं (यजमान) द्वारा ही बांध दिया जाता है, आप.श्रौ.सू. 1०.9.17-18 (दीक्षा, सोमयाग); इससे वह वेदि से एक लोष्ठखण्ड (ढेला) लेता है, अपने मस्तक का स्पर्श करता है, और यदि वह चाहे तो अपने शरीर को खुजला सकता है, 1०.1-3; परिधान में एक गाँठ बांधता है, आप.श्रौ.सू. 18.16.9 (राजसूय यज्ञ)।

  1. iii. 7, 1. 2;
    vi. 121, 1;
    Aitareya Brāhmaṇa, ii. 11, 10;
    Śatapatha Brāhmaṇa, vii. 3, 2, 17. Primarily a deciduous horn is meant. See Whitney, Translation of the Atharvaveda, 94.
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